दिवाली पर भी दिखा नोट बंदी और जीएसटी का असर

दिवाली पर भी दिखा नोट बंदी और जीएसटी का असर

नई दिल्ली। देश में लागू की गयी नोट बंदी और उसके बाद जीएसटी का असर त्यौहारों पर साफ़ दिखाई दे रहा है। इससे दिवाली भी अछूती नहीं रही। धनतेरस से लेकर दिवाली तक इस बार पिछले वर्षो जैसा जोश और उत्साह दुकानदारों में दिखा न ग्राहको में नहीं दिखा।

दिल्ली में सुप्रीमकोर्ट की पाबन्दी के बावजूद कुछ जगह आतिशबाज़ी ज़रूर चली लेकिन मिटाई की दुकानों पर पहले जैसे भीड़ नहीं दिखी। वहीँ उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ऐसा ही कुछ नज़ारा देखने को मिला। आम तौर पर दिवाली के दिन पैर रखने को जगह न मिल पाने वाले इलाको में इस बार भीड़ नदारद रही।

मुंबई के दादर मार्केट में जो त्योहारों के दिन लोगों की बड़ी भीड़ रहती थी लेकिन इस बार पिछले वर्षो की तरह भीड़ नहीं जुटी। यहाँ तक कि दिवाली पर कपडा और मिठाई जैसी आवश्यक मानी जाने वाली चीज़ो की दुकानों पर ग्राहकों का जमघट देखने को नहीं मिला।

दुकानदारों की माने तो इस बार जीएसटी के लागू होने की वजह से चीज़ों के दामों में 30 से 35 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। फूल से लेकर कपडे तक सभी कुछ महंगा होने के चलते इसकी मार त्यौहारों पर पड़ी है।

महंगाई का सबसे बड़ा झटका छोटे कारोबारियों को लगा है। दिवाली पर अच्छी बिक्री की उम्मीद संजोये बैठे छोटे कारोबारियों की दुकानों पर ग्राहकों का न पहुंचना किसी बड़ी हताशा से कम नहीं है।

वहीँ महंगाई के चलते मध्यम और गरीब तबके के लोग इस बार अपनी ख्वाईशो को दिल में दबाये बैठे रहे। आतिशबाज़ी के दाम आसमान छू रहे हैं, कपडे महंगे मिल रहे हैं, इसलिए खामोश बैठने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं।

एक ग्राहक ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि चीन का बना सस्ता सामान खरीद नहीं सकते, नहीं तो गद्दार कहलायेंगे और अपने देश का बना कपडा, जूता सभी कुछ महंगा हो चला है, तो आम आदमी क्या करे ?

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TeamDigital