तीन तलाक बिल पर संसद में बहस, राज्यसभा में फिर अटकेगा बिल
नई दिल्ली। तीन तलाक बिल पर आज संसद में चर्चा जारी है। इस दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव और बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी के बीच तीखी बहस हुई।
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने यूपी में तीन तलाक के बढ़ते मामलों के लिए अखिलेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आपकी सरकार में शरिया अदालतें चलती रहीं और उनसे ऐसे मामलों को बढ़ावा मिला। अगर अखिलेश ने शरिया कोर्ट बंद कर दिए होते तो महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होता, किस तरह के मुख्यमंत्री हैं ये।
इस पर अखिलेश ने अपनी बात कहने की इजाजत मांगी लेकिन चेयर की ओर से उन्हें बोलने नहीं दिया गया। इसे लेकर नोक-झोंक हुई। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने इस पर कहा कि अखिलेश वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्हें किसी महिला सांसद को बोलने से नहीं रोकना चाहिए बल्कि अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए।
राज्य सभा में अटकेगा बिल:
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सांसदों को इसके लिए व्हिप जारी किया है और उनसे सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है। वहीं कांग्रेस ने यूपीए के सभी सहयोगी दलों से कहा है कि तीन तलाक बिल का विरोध करें। एनडीए गठबंधन में भाजपा की साथी जनता दल (यू) भी तीन तलाक बिल का विरोध करेगी।
मोदी सरकार ने इस बिल को पिछले कार्यकाल में पास कराने की पूरी कोशिश की थी, मगर राज्यसभा में बिल अटक गया था. लोकसभा भंग होने के बाद फिर से इस बार बिल को पेश करना पड़ा।
तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए सरकार को 245 सदस्यीय राज्यसभा में 123 सदस्यों का समर्थन जुटाना होगा। जो फ़िलहाल मुमकिन नहीं लगता। आज की स्थति में एनडीए के सदस्यों की संख्या बहुमत से करीब 06 सीटें कम हैं। अगर तीन तलाक के मसले पर जदयू ने एनडीए का साथ छोड़ा तो फिर संख्या बल 111 का रह जाएगा।
वहीँ विपक्ष के सदस्यों की संख्या 117 है। इसमें कांग्रेस के पास 48 राज्यसभा सदस्य हैं, इसी तरह टीएमसी के पास 13, डीएमके के पास 3 राज्यसभा सांसद हैं. वहीं समाजवादी पार्टी (12), एनसीपी (4), सीपीआई (2), सीपीआईएम (5), आम आदमी पार्टी (3), बहुजन समाज पार्टी (4), पीडीपी (2), टीडीपी (2), बीजेडी (7), आईयूएमएल (1) और राजद (5) शामिल हैं। इसमें जेडीयू के छह मेंबर जोड़ दें तो आंकड़ा 117 हो जाता है।