जब कोर्ट में जेटली से बोले जेठमलानी “क्या पीएम मोदी को अदालत में बतौर गवाह बुलाया जाए”
नई दिल्ली। डीडीसीए मामले में मानहानि के मुकदमे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने आज कोर्ट में मानहानि का दावा करने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली से 42 सवाल पूछे। इस दौरान हुई तीखी बहस में कई ऐसे मोड़ आये जब कोर्ट को दोनों पक्षों से शांत होने को कहना पड़ा।
बहस के दौरान कोर्ट में राम जेठमलानी ने अरुण जेटली से पूछा कि क्या आपके आचरण को प्रमाणित करने के लिए पीएम मोदी को अदालत में बतौर गवाह बुलाया जाए क्योंकि उन्होंने ही आपको अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया है। वो ही आपके बारे में बेहतर बता सकते हैं। जेठमलानी ने कहा कि मेरी राय है कि जेटली का कोई रेपुटेशन नहीं है। इसलिए उसे नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है।
क्रास एग्जामिनेशन के दौरान रामजेठमलानी ने जेटली से कहा कि फिरोजशाह कोटला स्टेडियम की मरम्मत के लिए चंदा देने के दो प्रस्ताव डीडीसीए को दिए गए। उनमें एक प्रस्ताव सरकार ने दिया था कि अगर स्टेडियम का नाम श्यामाप्रसाद मुखर्जी रखा जाता है तो सरकार सारे खर्च उठाएगी लेकिन जेटली इस मरम्मत में सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया।
इसके जवाब में जेटली ने कहा कि ये सारे प्रस्ताव मौखिक थे कोई लिखित प्रस्ताव नहीं था। इसलिए उन्होंने उस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। अगले एक और सवाल में जेटली को घेरते हुए जेठमलानी ने पूछा कि फ़िरोजशाह कोटला में 57 करोड़ रुपया पॉलिटिकल लोगों ने बर्बाद किया। इस पर आपका क्या कहना है?
अरुण जेटली ने जबाव में कहा कि “ये आरोप गलत है. मेरी जानकारी और राय है कि जिस तरह के आरोप मुझ पर लगाए गए वो पूरी तरह गलत थे। मीडिया से जो जानकारी मुझे मिली उसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि फ़िरोजशाह के स्टेडियम पर जो खर्च आया वो स्टेडियम के मॉडनाईजेशन के लिए जरूरी था। इसलिए 57 करोड़ रुपये के गलत इस्तेमाल का आरोप पूति तरह गलत है। जो भी खर्च हुआ उसके सत्यापन के लिए फ़िरोजशाह स्टेडियम मे हुए काम को देखा जा सकता है।