क्या ख़त्म हो गया मोदी का जादू ?

क्या ख़त्म हो गया मोदी का जादू ?

ब्यूरो (राजा ज़ैद)। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नाम को आगे रख कर सत्ता के शिखर तक पहुंची भारतीय जनता पार्टी का जादू अब फीका पड़ता दिख रहा है। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज को लेकर बीजेपी नेता जो भी दावे करें लेकिन बड़ी सच्चाई यह भी है लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने जनता को जो सपने दिखाए थे वह उन्हें सच्चाई में बदलने में असफल रही है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बीजेपी ने जो अहम मुद्दे कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल किये उनमे भ्रष्टाचार, विदेशो से काले धन की वापसी, महंगाई, सुरक्षा और बेरोज़गारी अहम थे। यदि आज मोदी सरकार के साढ़े तीन साल के कामकाज का आंकलन करें तो पता चलता है कि जो वादे जनता से किये गए उन्हें बीजेपी सत्ता में आने के आड़ अमली जामा नही पहना सकी है।

बीजेपी दावा करती है कि देश में भ्रष्टाचार कम हुआ है लेकिन अब तक लोकपाल की न्युक्ति न होने से यह दावा कमज़ोर पड़ जाता है। यदि मोदी सरकार सच में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में गंभीर है तो उसने लोकपाल की न्युक्ति क्यों नही की? बीजेपी और मोदी सरकार लोकपाल की न्युक्ति न होने के लिए जो तर्क देती आ रही है, उन तर्को से बीजेपी सिर्फ खुद को संतुष्ट कर सकती है।

इस वर्ष सितम्बर माह में ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल और एंटी करप्शन ग्लोबल सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को एशिया का सबसे भ्रष्ट देश बताया गया है।

भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार और बीजेपी की जीरो टोलरेंस नीति कितनी पारदर्शी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि व्यापम जैसे बड़े घोटालो के खुलासे के बावजूद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से इस्तीफा लेकर नया मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।

वहीँ राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी के मामले में हुए खुलासे के बावजूद वसुंधरा राजे आज भी राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं।

2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने अपनी चुनावी सभाओं में विदेशो से काला धन वापस लाने का बड़ा वादा किया था। इतना ही नही स्वयं प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने यहाँ तक कहा था कि यदि विदेशो से काला धन वापस आ जाये तो हर व्यक्ति के हिस्से में पंद्रह लाख रुपये आ जायेंगे।

हालाँकि प्रधानमन्त्री द्वारा कही गयी पन्द्रह लाख की बात को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनावी जुमला कह कर अपना पीछा छुड़ा लिया लेकिन विदेशो से काला धन वापस लाने के मामले में अभी कोई खास प्रगति नही हुई है। जबकि चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं को कई मंचो से यह कहते भी सुना गया था कि सरकार बनने के सौ दिनों के अंदर विदेशो से काला धन वापस मंगवा लिया जाएगा।

2014 में लोकसभा चुनावो के दौरान अपनी प्रचार सभाओं महंगाई कम करने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सरकार बनने के बाद इस मुद्दे पर बात करने से कतरा रही है। जब भी महंगाई की बात उठाई जाती है तो बीजेपी नेता विकास की दुहाई देने लगते हैं।

मोदी सरकार बनने के बाद खाने पीने की चीजों के दाम, डीजल पेट्रोल से लेकर रेल किराया सभी कुछ महंगा हुआ है। अभी हाल ही में जबकि अंतराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल के दामो में गिरावट के बावजूद देश में पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का मुद्दा गर्माया तो वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी इसे विकास से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि यदि विकास चाहिए तो इसकी कीमत चुकानी होगी।

यहाँ एक बड़ा सवाल यह है कि मोदी सरकार ऐसा कौन सा स्पेशल विकास करने जा रही है जिसकी कीमत जनता से बसूली जाएगी। क्या पहली सरकारों ने विकास के काम नही किये या मोदी सरकार जो विकास काम कर रही है वे कुछ खास हैं?

2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक बड़ा मुद्दा पडौसी देश पाकिस्तान को सबक सिखाने और आतंकवाद को खत्म करने का भी था। पाकिस्तान की तरफ से सीज फायर का उल्लंघन बदस्तूर जारी है। वहीँ कश्मीर में सेना के कैम्पों पर भी आतंकी हमले हो रहे हैं।

मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले जो बीजेपी नेता लाहौर और कराची में तिरंगा फहराने और पाकिस्तान को दुनिया के नक़्शे से हटाने के दावे भरते थे, वे अब इस मुद्दे पर बात करने से परहेज करते दिख रहे हैं।

मोदी सरकार के तीन साल के दौरान भारत के 578 जवान शहीद हुए और 877 नागरिक मारे गए हैं। अकेले जम्मू और कश्मीर में 203 जवान शहीद हुए, पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर में 1343 बार घुसपैठ की और छह महीनो में तीन बार हमारे छह जवानों के शव क्षत-विक्षत किए गए। ये आंकड़ा यूपीए सरकार के कार्यकाल से कहीं ज्यादा है।

बेरोज़गारी के मामले में भी मोदी सरकार ने जो सपने दिखाए थे उन्हें हकीकत में बदलने में फेल रही है। मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में देश में बेरोज़गारी बढ़ी है।

लोकसभा चुनावो के दौरान भारतीय जनता पार्टी का देश के बेरोजगारों के लिए प्रतिवर्ष दो करोड़ नई नौकरियां मुहैया कराने की बात कही गयी थी लेकिन इसके पलट मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में नौकरियों की संख्या में बड़ी कमी आई है।

जो कहा वह नही किया, जो नही कहा वह कर दिया :

2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी नेताओं ने किसी भी चुनावी मंच से नोट बंदी लागू करने का ज़िक्र नही किया था। देश में नोटबंदी लागू करने की बात बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र में भी नही थी। इसके बावजूद मोदी सरकार ने 8 नवम्बर 2016 को देश में पांच सौ और एक हज़ार के नोट को चलन से बाहर करते हुए नोट बंदी लागू कर दी।

नोटबंदी लागू करने के पीछे जो बड़े कारण गिनाये गए थे उनमे आतंकवाद और काले धन के खात्मे की बात कही गयी थी। रिजर्व बैंक के सालाना आंकड़ो को देखें तो पता चलता है कि नोट बंदी से काला धन वापस नही आया । जहाँ तक आतंकवाद के खात्मे का सवाल है तो नोट बंदी के बाद भी कश्मीर में लगातार आतंकवादी घटनाएँ हो रही हैं ।

फ़िलहाल कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जिनमें से मोदी सरकार निकलने का रास्ता तलाश रही है। स्मार्ट सिटी का हो हल्ला मचा, बड़े बड़े इवेंट हुए लेकिन परिणाम नही दिखाई दे रहे।

मोदी सरकार बनने के एक वर्ष के अंदर गंगा को पुर्णतः साफ़ करने की बात कही गयी थी लेकिन गंगा की सफाई के काम में खर्च अधिक प्रगति कम दिखाई दे रही है।

मोदी सरकार के कार्यकाल को लगभग साढ़े तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं। लोकसभा चुनावो में बीजेपी ने जो बड़े बड़े वादे किये थे वे सभी वादे क्या मोदी सरकार के बचे हुए डेढ़ साल के कार्यकाल में पूरे हो पाएंगे, ये आने वाला समय बताएगा लेकिन फिलहाल हकीकत यही है कि नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे केंद्र की सत्ता तक पहुंची बीजेपी का जादू खत्म हो चला है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital