कोविंद का पहला भाषण: मायावती बोलीं ‘कोविंद भी बीजेपी की तरह आंबेडकर विरोधी सोच वाले’

नई दिल्ली। राष्ट्रपति कोविंद ने पहले संबोधन में दीनदयाल उपाध्याय को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समकक्ष रखना चर्चा का विषय बना हुआ है। इतना ही नहीं अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का जिक्र तक नहीं करने से कोविंद कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं।
कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि नए राष्ट्रपति ने अपने भाषण में राष्ट्रपिता गांधी के समकक्ष जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय को खड़ा कर इतिहास का अपमान किया है। दीन दयाल उपाध्याय न ही भारत की आजादी के समय के नेता है और न ही आजादी के बाद उन्होंने भारत को मॉडर्न बनाने में कोई योगदान दिया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषण का मुद्दा आज राज्य सभा में भी उठा, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आज राज्य सभा में कहा कि दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के समकक्ष कैसे हो सकते हैं।
इससे पहले कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण में जवाहरलाल नेहरू का नाम न लेकर देश के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है। बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि उन्होंने अपने भाषण में जवाहरलाल नहेरू के कैबिनेट मंत्रियों के नाम लिए लेकिन भारत के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी का नाम नहीं लिया।
Uproar in RS over President Kovind's speech; Congress' Anand Sharma says Mahatma Gandhi was compared with Deen Dayal Upadhyay yesterday
— ANI (@ANI) July 26, 2017
वहीँ बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि रामनाथ कोविंद भी बीजेपी की तरह ही अंबेडकर विरोधी हैं। मंगलवार को मायावती ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषण में डा भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि नहीं लिए जाने पर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषण ने साबित कर दिया है कि वे भी बीजेपी की तरह आंबेडकर विरोधी हैं।
President Kovind has same anti-Ambedkar thinking as BJP: Mayawati
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— ANI Digital (@ani_digital) July 25, 2017
बता दें कि मंगलवार को संसद के सेंट्रल हॉल में अपने शपथ ग्रहण भाषण के दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी के अलावा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय को याद किया था।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय जी ने की थी।”